मैं रोज़ रात यही सोच कर तो सोता हूँ कि कल से – स्वप्निल तिवारी By Poetry Estimated read time 1 min read May 19, 2025 0 मैं रोज़ रात यही सोच कर तो सोता हूँ कि कल से – स्वप्निल तिवारी main roz raat yahi soch kar to sota hoon ki kal se waqt nikaloonga zindagi ke liye मैं रोज़ रात यही सोच कर तो सोता हूँ कि कल से वक़्त निकालूँगा ज़िन्दगी के लिए – Swapnil Tiwari