काश ऐसा कोई मंज़र होता मेरे काँधे पे तेरा स – ताहिर फ़राज़ By Poetry Estimated read time 1 min read May 19, 2025 0 काश ऐसा कोई मंज़र होता मेरे काँधे पे तेरा स – ताहिर फ़राज़ kaash aisa koi manzar hota mere kaandhe pe tera sar hota काश ऐसा कोई मंजर होता मेरे काँधे पे तेरा सर होता – Tahir Faraz