मैं रोज़ रात यही सोच कर तो सोता हूँ कि कल से – स्वप्निल तिवारी

मैं रोज़ रात यही सोच कर तो सोता हूँ कि कल से – स्वप्निल तिवारी

main roz raat yahi soch kar to sota hoon
ki kal se waqt nikaloonga zindagi ke liye मैं रोज़ रात यही सोच कर तो सोता हूँ
कि कल से वक़्त निकालूँगा ज़िन्दगी के लिए
– Swapnil Tiwari

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