Posted inpoetry Zakir Khan Usse Acha Nahi Lagta Poetry By Zakir | उसे अच्छा नहीं लगता…. उसे अच्छा नहीं लगता Poetry By Zakir Khan ये खत है उस गुलदान के नाम, जिसका फूल कभी हमारा था. वो जो अब तुम उसके मुख्तार हो तो सुन लो...… Posted by Team Banaras Trip February 25, 2025
Posted inGulzar Ghazals poetry Top 20 चुनिंदा गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से शेर Top 20 चुनिंदा गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से शेर आप के बा'द हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा क़ाफ़िला साथ और… Posted by Banaras Trip February 16, 2025
Posted inZakir Khan poetry मेरे कुछ सवाल हैं by Zakir Khan Mere Kuchh Sawal Hai by Zakir Khan मेरे कुछ सवाल हैं जो सिर्फ क़यामत के रोज़ पूछूंगा तुमसे क्योंकि उसके पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके इस लायक नहीं… Posted by Team Banaras Trip January 29, 2025
Posted inGhazals Gulzar poetry गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से आसमाँ भर गया है चीलों से सूली चढ़ने लगी है ख़ामोशी लोग आए हैं सुन के मीलों से कान में ऐसे उतरी सरगोशी बर्फ़ फिसली… Posted by Banaras Trip January 27, 2025
Posted inGhazals Gulzar poetry पेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैं पेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैं शाम से तेज़ हवा चलने के आसार से हैं नाख़ुदा देख रहा है कि मैं गिर्दाब में हूँ और जो पुल… Posted by Banaras Trip January 27, 2025
Posted inGhazals Gulzar poetry खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं हवा चले न चले दिन पलटते रहते हैं बस एक वहशत-ए-मंज़िल है और कुछ भी नहीं कि चंद सीढ़ियाँ चढ़ते उतरते रहते हैं… Posted by Banaras Trip January 27, 2025
Posted inGhazals Gulzar poetry ज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें ज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें शम्अ' जलती है तो लाज़िम है शुआएँ निकलें वक़्त की ज़र्ब से कट जाते हैं सब के सीने चाँद का छलका उतर… Posted by Banaras Trip January 27, 2025
Posted inGhazals Gulzar poetry मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता न रौशनी कोई आती मिरे तआ'क़ुब में जो अपने-आप को मैं ने बुझा दिया होता ये… Posted by Banaras Trip January 27, 2025
Posted inGhazals Gulzar poetry ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर सैली सी ख़ामोशी में आवाज़ सुनी फ़रमाइश पर फ़ासले हैं भी और नहीं भी नापा तौला कुछ भी नहीं लोग… Posted by Banaras Trip January 27, 2025
Posted inGhazals Gulzar poetry तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की नींद में कोई अपने-आप से बातें करता रहता है काल-कुएँ में गूँजती है… Posted by Banaras Trip January 27, 2025