1,209 Viewsउसे अच्छा नहीं लगता Poetry By Zakir Khan ये खत है उस गुलदान के नाम, जिसका फूल…
183 ViewsTop 20 चुनिंदा गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से शेर आप के बा’द हर घड़ी हम ने आप…
1,178 ViewsMere Kuchh Sawal Hai by Zakir Khan मेरे कुछ सवाल हैं जो सिर्फ क़यामत के रोज़ पूछूंगा…
159 Viewsगर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से आसमाँ भर गया है चीलों से सूली चढ़ने लगी है ख़ामोशी लोग…
165 Viewsपेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैं शाम से तेज़ हवा चलने के आसार से…
141 Viewsखुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं हवा चले न चले दिन पलटते रहते हैं बस एक…
104 Viewsज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें शम्अ’ जलती है तो लाज़िम है शुआएँ निकलें वक़्त…
121 Viewsमुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता न रौशनी कोई…
125 Viewsओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर सैली सी ख़ामोशी में आवाज़ सुनी फ़रमाइश…
124 Viewsतिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की…