Top 20 चुनिंदा गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से  शेर

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Top 20 चुनिंदा गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से शेर

आप के बा’द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा

शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है

आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए’तिबार किया

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है

अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार
पीले पत्ते तलाश करती है

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसाँ उतारता है कोई

चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें

देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई

रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता

भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में
उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं

1 Comment

  1. Greetings! Very helpful advice on this article! It is the little changes that make the biggest changes. Thanks a lot for sharing!

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