44 Viewsहम तो कितनों को मह-जबीं कहते आप हैं इस लिए नहीं कहते चाँद होता न आसमाँ पे…
40 Viewsआँखों में जल रहा है प बुझता नहीं धुआँ उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ…
22 Viewsसहमा सहमा डरा सा रहता है जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है काई सी जम गई…
17 Views कोई अटका हुआ है पल शायद वक़्त में पड़ गया है बल शायद लब पे आई…
23 Viewsरुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले…
15 Viewsफूलों की तरह लब खोल कभी ख़ुशबू की ज़बाँ में बोल कभी अल्फ़ाज़ परखता रहता है आवाज़…
14 Viewsहर एक ग़म निचोड़ के हर इक बरस जिए दो दिन की ज़िंदगी में हज़ारों बरस जिए…
20 Viewsजब भी आँखों में अश्क भर आए लोग कुछ डूबते नज़र आए अपना मेहवर बदल चुकी थी…
18 Viewsतुझ को देखा है जो दरिया ने इधर आते हुए कुछ भँवर डूब गए पानी में चकराते…
14 Viewsकोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है ज़िंदगी एक नज़्म लगती है बज़्म-ए-याराँ में रहता हूँ तन्हा और तंहाई…