हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है

122 Viewsहवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है ज़मीं से पेड़ों के टाँके उधेड़ देती है मैं…

हम तो कितनों को मह-जबीं कहते

123 Viewsहम तो कितनों को मह-जबीं कहते आप हैं इस लिए नहीं कहते चाँद होता न आसमाँ पे…

आँखों में जल रहा है प बुझता नहीं धुआँ

106 Viewsआँखों में जल रहा है प बुझता नहीं धुआँ उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ…

सहमा सहमा डरा सा रहता है

105 Viewsसहमा सहमा डरा सा रहता है जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है काई सी जम गई…

कोई अटका हुआ है पल शायद

81 Views  कोई अटका हुआ है पल शायद वक़्त में पड़ गया है बल शायद लब पे आई…

रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले

89 Viewsरुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले…

फूलों की तरह लब खोल कभी

84 Viewsफूलों की तरह लब खोल कभी ख़ुशबू की ज़बाँ में बोल कभी अल्फ़ाज़ परखता रहता है आवाज़…

हर एक ग़म निचोड़ के हर इक बरस जिए

77 Viewsहर एक ग़म निचोड़ के हर इक बरस जिए दो दिन की ज़िंदगी में हज़ारों बरस जिए…

जब भी आँखों में अश्क भर आए

95 Viewsजब भी आँखों में अश्क भर आए लोग कुछ डूबते नज़र आए अपना मेहवर बदल चुकी थी…

तुझ को देखा है जो दरिया ने इधर आते हुए

82 Viewsतुझ को देखा है जो दरिया ने इधर आते हुए कुछ भँवर डूब गए पानी में चकराते…