89 Viewsज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें शम्अ’ जलती है तो लाज़िम है शुआएँ निकलें वक़्त…
106 Viewsमुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता न रौशनी कोई…
110 Viewsओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर सैली सी ख़ामोशी में आवाज़ सुनी फ़रमाइश…
101 Viewsतिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की…
101 Viewsहवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है ज़मीं से पेड़ों के टाँके उधेड़ देती है मैं…
100 Viewsहम तो कितनों को मह-जबीं कहते आप हैं इस लिए नहीं कहते चाँद होता न आसमाँ पे…
85 Viewsआँखों में जल रहा है प बुझता नहीं धुआँ उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ…
77 Viewsसहमा सहमा डरा सा रहता है जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है काई सी जम गई…
62 Views कोई अटका हुआ है पल शायद वक़्त में पड़ गया है बल शायद लब पे आई…
67 Viewsरुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले…