एक पर्वाज़ दिखाई दी है

एक पर्वाज़ दिखाई दी है तेरी आवाज़ सुनाई दी है सिर्फ़ इक सफ़्हा पलट कर उस ने सारी बातों की सफ़ाई दी है फिर वहीं लौट के जाना होगा यार…

बीते रिश्ते तलाश करती है

बीते रिश्ते तलाश करती है ख़ुशबू ग़ुंचे तलाश करती है जब गुज़रती है उस गली से सबा ख़त के पुर्ज़े तलाश करती है अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार पीले…

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसाँ उतारता है कोई दिल में कुछ यूँ सँभालता हूँ ग़म जैसे ज़ेवर सँभालता है कोई आइना देख कर तसल्ली हुई हम को…

ऐसा ख़ामोश तो मंज़र न फ़ना का होता

ऐसा ख़ामोश तो मंज़र न फ़ना का होता मेरी तस्वीर भी गिरती तो छनाका होता यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता कोई एहसास तो दरिया की अना…

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में रात गुज़रते शायद…

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा अपने साए से चौंक जाते हैं उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा रात भर बातें करते हैं तारे रात काटे…