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Behati Nadi Si Hai, Ruka Hua Hoon Main By Munawar Faruqui
वो बहती नदी सी है , रुका हुआ हूँ मैं ।
वो ख़ज़ाने सी है , लूटा हुआ हूँ मैं
उसके आगे अब मेरा कोई वजूद नहीं रहा
ग़लतियाँ वो करे और चुका रहा हूँ मैं ||
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वो बहती नदी सी है , रुका हुआ हूँ मैं ।
वो ख़ज़ाने सी है , लूटा हुआ हूँ मैं
उसके आगे अब मेरा कोई वजूद नहीं रहा
ग़लतियाँ वो करे और चुका रहा हूँ मैं ||
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